मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं आरोग्य भारती(मध्य भारत) के संयुक्त तत्वावधान में कोविड 19 पर आयुर्वेद क्षेत्र के पहले वेबिनार का सफल आयोजन किया गया ,
आरोग्य भारती(मध्य भारत) , मानसरोवर आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एवं श्री साई इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेदिक रिसर्च एंड मेडिसिन ,भोपाल के संयुक्त तत्वावधान में आयुर्वेद क्षेत्र के पहले वेबिनार का सफल आयोजन किया गया , जिसमें देश के विभिन्न आयुर्वेदविदों ने COVID -19 में उक्त विषय पर अपने विचार रखे ।।
वेबिनार का शुभारम्भ में राष्ट्रसंत आचार्य श्रीविद्यासागर जी महाराज के विडिओ सन्देश का प्रसारण किया गया । आचार्यश्री ने अपने आशीष वचनों में उल्लेख किया कि मंत्र और यन्त्र दोनों पहले भी थे ,वो आज भी हैं बस विश्वास की कमी है । हमें शास्त्रों एवं धर्म पर विश्वास करना नहीं छोड़ना है । इस देश को वैश्विक महामारी के भय से बचाने हेतु सकारात्मक वातावरण बनाने की आवश्यकता है ।
तत्पश्चात केंद्रीय आयुष मंत्री माननीय श्रीपाद यस्सो नायक जी ने अपने उद्घाटन सम्बोधन में देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर एवं आयुष विभाग के शोध एवं चिकित्सा में आयुर्वेदिक चिकित्सकों के सलाह से मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए आयुष विभाग के दिशानिर्देश को प्रतिदिन प्रयोग करने की सलाह दी ,और बताया की कई राज्यों ने आयुष चिकित्सा के माध्यम से कोविड -19 के मरीजों का उपचार सुनिश्चित किया गया है । मध्य प्रदेश में माननीय मुख्यमंत्री जी द्वारा शुरू की गयी 'जीवन अमृत योजना' के अंतर्गत "आयुर्वेदिक त्रिकटु चूर्ण / आरोग्य काढ़ा "जन - जन तक पहुँचाये जाने की योजना की सराहना की है।
डायरेक्टर जनरल प्रो. के .एस .धीमान ने CCRAS के नेतृत्व में किये जा रहे कार्यों का विवरण देते हुए बताया कि माइल्ड और लक्षण विहीन केसेज में दिल्ली के विभिन्न संस्थानों में प्रयोग चल रहा है । आयुष -64 , तथा 3 अन्य दवाइयों सुदर्शन घन वटी ,संशमनी वटी का प्रयोग चल रहा है | आयुष मंत्रालय की गॉइडलाइन तथा संजीवनी एप हर राज्य की लगभग 2 लाख लोगो तक पहुचेगा | लगभग 2 लाख आयुर्वेद चिकित्सक कोविड प्रोटोकॉल में प्रशिक्षण प्राप्त हैं , जिनकी सहायता ली जाएगी ।
डॉ अशोक कुमार वार्ष्णेय, राष्ट्रीय संगठन मंत्री, आरोग्यभारती ने कहा कि भारतीय परिवेश एवं जीवन शैली स्वाभाविक रूप से भारतीयों की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बेहतर रखती है जो इस महामारी से देश को बचाये रखने में सहायक सिद्ध हुई है ।
प्रोफेसर कमलेश कुमार शर्मा, विभागाध्यक्ष, स्वस्थवृत्त, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर ने स्वस्थवृत्त के मूल सिद्धांत दिनचर्या, ऋतुचर्या ,सदवृत एवं आहार पर जोर देने की बात कही एवं उचित जीवन शैली, रसायन, प्रतिमर्श का प्रयोग बताया |।।
डॉ प्रताप सिंह चौहान द्वारा सत्वावजय चिकित्सा का वर्णन करते हुए दैवाव्यपश्रय चिकित्सा का वर्णन बताया |
डॉ रमाकान्त द्विवेदी के सवाल के जबाव में उन्होंने बताया की वह मंत्र चिकित्सा से सम्बंधित इंस्ट्रूमेंट पर कार्य कर रहे हैं, जब ग्रंथो में लिखा है तो सबका प्रयोग होना चाहिए |
प्रो . कमलनयन द्विवेदी – विभागाध्यक्ष ,BHU ,द्रव्य गुण द्वारा – प्रतिमर्श नस्य , आमलकी , नारियल तेल नस्य, कर्पूर जल स्नान आदि का सेलुलर लेवल पर महत्व समझाया गया ।।
प्रो. रवि नारायण आचार्य ,चेयर मैन, A.P.C. भारत सरकार एवं डीन IPGT and RA जामनगर ने अनुसन्धान में प्रयुक्त औषधियों , महासुदर्शन चूर्ण , आमलकी , तुलसी आदि का प्रमाण सहित विवरण दिया |
पद्मश्री वैद्य बालेंदु प्रकाश जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमारे भोजन, पानी एवं कृषि भूमि में निरंतर खनिज तत्वों में कमी आ रही है, जिससे आहार में पूर्ण पोषण प्राप्त नहीं हो रहा है ,इसकी पूर्ति रसशास्त्र की विभिन्न भस्मों एवं औषधियों से पूरी की जा सकती है, और बीमारियों से बचा जा सकता है ।
योगाचार्य अवनीश जी, डायरेक्टर, मोक्ष फाउंडेशन, जबलपुर ने वर्तमान समय की कोरोना महामारी के नियंत्रण हेतु योग की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला ।। वेबिनार में जुड़े सभी शिक्षाविदों, आयुर्वेद विशेषज्ञों, छात्रों की शंकाओं का समाधान विषय विशेषज्ञों की टीम द्वारा निरंतर किया गया,
कार्यक्रम की समाप्ति पर श्री गौरव तिवारी ,सी ई डी, मानसरोवर ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट द्वारा वेबनार में सम्मिलित हुए सभी सम्मानीय वक्ताओं को आभार व्यक्त किया गया और भविष्य में आयुर्वेद के विकास के लिए इसी तरह की गतिविधियों के लिए संस्था की प्रतिबद्धता जाहिर की ।।
भारत में प्रथम बार आयोजित इस कार्यक्रम को सफल बनाने हेतु मानसरोवर ग्रुप द्वारा एक संयुक्त टीम का चयन किया गया, जिसमे डॉ भारत चौरागड़े ( प्रिंसिपल, श्री साईं इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदिक रिसर्च एंड मेडिसिन), श्री अनुराग सिंह राजपूत(प्रिन्सिप, मानसरोवर आयुर्वेद महाविद्यालय) के निर्देशन में डॉ मनीषा राठी, डॉ कुशल यादव, डॉ विकास जैन ,डॉ मदन मोहन सिंह का सक्रिय भूमिका रही ।।
कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ रवि श्रीवास्तव, जबलपुर द्वारा किया गया ।।